कोरोना से भी खतरनाक चीनी वायरस ने भारत में ली एंट्री, शेयर बाजार हुए धड़ाम, क्या होगा कल?

hmpv virus cases in india: चीन के ह्यूमन मेटान्युमोवायरस (HMPV) ने भारतीय शेयर बाजार को हिला कर रख दिया है। सेंसेक्स 1258 अंकों की गिरावट के साथ 77,964.99 रुपए पर बंद हुआ है, तो वहीं निफ्टी 388.70 अंको की गिरावट के साथ 23,616.05 रुपए पर बंद हुआ है।

बेंगलुरु में भारत का पहला HMPV मामला: सेंसेक्स में 1,200 अंकों की गिरावट

चीन में वायरस के प्रकोप की खबरों के बीच बेंगलुरु में भारत का पहला ह्यूमन मेटा-न्युमो वायरस (एचएमपीवी) मामला सामने आया, जिससे शेयर बाजार में हड़कंप मच गया। सोमवार को बीएसई सेंसेक्स में 1,258 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी में लगभग 388 अंकों की गिरावट देखी गई।

सेंसेक्स और निफ्टी में आई भारी गिरावट

सेंसेक्स, जो सुबह मजबूती के साथ खुला था, एचएमपीवी के पहले मामले की खबर आने के बाद 77,781.62 के दिन के निचले स्तर पर पहुंच गया। निफ्टी भी 23,600 के करीब लुढ़क गया। व्यापक बिकवाली के कारण इंडिया VIX (वोलैटिलिटी इंडेक्स) में 13% की उछाल आई, जो बाजार में बढ़ते अस्थिरता के संकेत हैं।

सबसे ज्यादा नुकसान किन सेक्टर्स और शेयरों में हुआ?

  • पीएसयू बैंक, रियल एस्टेट, और ऑयल एंड गैस सेक्टर्स को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा।
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में सबसे बड़ी 7% गिरावट रही, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा, एचपीसीएल, बीपीसीएल, टाटा स्टील, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, और पीएनबी के शेयरों में 4-5% की गिरावट आई।
  • सेंसेक्स के प्रमुख घटकों में एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) और कोटक महिंद्रा बैंक ने सबसे ज्यादा नुकसान झेला।

8 महीने के बच्चे में मिला वायरस

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेंगलुरु में 8 महीने के एक बच्चे में एचएमपीवी की पुष्टि हुई है। आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने दो मामलों की पुष्टि की, जिनमें 3 महीने की बच्ची और 8 महीने का बच्चा शामिल हैं। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। मौसम में बदलाव के कारण इसके मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। मंत्रालय ने कहा कि चिंता का कोई कारण नहीं है, और भारत वैश्विक स्थिति की निगरानी कर रहा है।

FII बिकवाली का दबाव और अन्य आर्थिक कारक

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली बाजार पर दबाव बना रही है।

  • डॉलर इंडेक्स 109 पर और 10-वर्षीय यूएस बॉन्ड यील्ड 4.62% पर होने से बाहरी मैक्रोइकोनॉमिक कारक बाजार के लिए प्रतिकूल बने हुए हैं।
  • यील्ड में गिरावट और डॉलर के स्थिर होने तक एफआईआई द्वारा बिकवाली जारी रह सकती है।

निवेशक हुए परेशान

निवेशक न केवल एचएमपीवी की खबर से चिंतित हैं, बल्कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की अटकलों और भू-राजनीतिक घटनाओं पर भी नजर बनाए हुए हैं। इसके साथ ही तीसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम भी बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण बने हैं।

क्या कहा मार्केट एक्सपर्ट ने तेरे प्यार

विश्लेषकों का मानना है कि बाजार पर प्रभाव डालने वाले नकारात्मक वैश्विक कारकों के बावजूद, कुछ सकारात्मक घरेलू संकेत बाजार को संभाल सकते हैं। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे घबराएं नहीं और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से अपने निवेश का आकलन करें।

निष्कर्ष

एचएमपीवी के पहले मामले ने बाजार में अस्थिरता जरूर पैदा की है, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनता को आश्वस्त किया है कि यह कोई नई या घातक समस्या नहीं है। बाजार में गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों का परिणाम है, और यह जल्द ही स्थिर हो सकती है।

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